Thursday, March 18, 2010
सभी की सुनता है इच्छा पूरी करता है तभी तो इच्छापूरण है !
सभी की सुनता है इच्छा पूरी करता है तभी तो इच्छापूरण है !
जबरेश्वर महादेव , लक्डेश्वर महादेव , पीर पछाड़ बालाजी सब नाम भावार्थी है , अपने आप में एक कहानी लिए है ,भक्तों के भाव का परिचायक है ! जैसे "Post Graduate Balaji" - वैसे तो बालाजी है ही "ज्ञानिनाम ग्रगन्यम" पर
चूँकि यह मंदिर अपने आस-पास के पांच महाविद्यालयों के विद्यार्थियों से भरा रहने - विशेष पूजित होने से भक्तों ने नाम धर दिया "Post Graduate Balaji" ऐसे ही भक्त श्री मूलचंद मालू के मन में मंदिर निर्माण की इच्छा हुई या आदेश हुआ ! स्वप्न में बाबा के स्वरुप का साक्षात्कार हुआ तो श्री बालाजी महाराज के श्री विग्रह ने "वरद मुद्रा में सिंहासनारुढ़" स्वरुप धारणकर भक्त की इच्छा पूरण की ! भव्य मंदिर निर्माण की इच्छा , मंदिर में विग्रह विशेष की प्रतिष्ठा की इच्छा के साथ अनेकों इच्छाएं , अनायास कहीं से लंगूर (वानर प्रजाति) का मरू प्रदेश जहाँ असंभव है आना मंदिर परिसर में स्वभाव के विपरीत आचरण करते हुए अनेकों चमत्कार करना , मंदिर परिसर में नित्यप्रति उमड़ता जन आस्था का सैलाब , मनोवांछा की डोर में बंधे इच्छा (मन्नत) के नारियल , बाबा के लगते सवामणी भोग , गठजोड़े से मंदिर की परिक्रमा करते वर-वधु और खेजड़ी (शमी-वृक्ष) के नीचे बच्चों के झडुले (मुंडन) उतरवाते लोग इच्छापूर्ति के संकेत है ! मानवीय इच्छाएं असीम है व्यक्त है अव्यक्त है , इच्छापूरण सभी की सुनता है इच्छा पूरी करता है तभी तो इच्छापूरण है !
"श्री इच्छापूरण" श्री विग्रह के प्राकट्य से पहले ही चमत्कारों की लम्बी कथा है , श्री विग्रह की प्राण-प्रतिस्ठा के होते ही भक्त परिवार द्वारा अपने एक अनन्य मित्र के संकट काटने की प्रार्थना बाबा ने उसी वक्त पूरी कर हजारों लोगों की भीड़ को अचंभित कर दिया था ! मुंबई के एक वृद्ध दम्पति अपनी पुत्र वधु की सुनी गोद से दुखी हर तरफ से निराश इच्छापूरण के दरबार में आये तो इच्छा पूरी हुई ! ऐसे अनेकों चमत्कार रोज होतें है किसी को इच्छित धन मिला , किसी को पत्नी तो किसी को पुत्र या पौत्र !
एक वाकया तो बड़ा अजीब हुवा !
मंदिर में ८ अप्रेल २००९ को पोढ्ना (शयन आरती) के बाद और भोर 3.30 बजे मंदिर द्वार खुलने के दौरान मंदिर में चोरी हो गई ! मंदिर परिसर का दक्षिणी दरवाजे का ताला तोड़कर चोर मंदिर में घुस कर शिव मंदिर के छत्र, मुकुट , आभूषण और २ हून्ड्डी चोर कर ले गए ! मंदिर प्रशासन हेरान-परेशान, पुलिस को सूचना दी गई ! खोजबीन में मंदिर परिसर के पिछवाड़े के खेतों में पानी कि कुण्ड के पास ३-४ लोगों के खोज (पद-चिन्ह ) मिले ! दोनों दान-पात्र टूटे पड़े मिले जिसमे से रूपए-पैसे निकाले हुवे थे ! चमत्कार को नमस्कार ! बाबा की लीला तब समझ आई जब चोर पकडे गए! चोर वेही व्यक्ति थे जिनसे पुलिस ने चोरी कि सुचना मिलने पर मंदिर आते वक्त हाई वे पर बेठे होने के कारण पूछताछ कि थी ! पुलिस के मंदिर आने, जरुरी कार्यवाही करने, और आसपास खोजबीन करने में, काफी समय व्यतीत होने के बावजूद बाबा ने उनकी मति भ्रमित कर कहीं जाने नहीं दिया ! इतने समय बाद भी वहीँ पकडवा दिया और सारा सामान बरामद हो गया !
रामकृष्ण सेवदा
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